बचपन की गलियों में...
बचपन मे सीखी हुवी कुछ चीजे इंसान जिंदगी भर नही भूलता फिर वह नदी में तैरना हो, खेल से जुड़ी चीज हो कोई गीत हो या फ़िर पेड़पर चढ़ना हो। कभी नही भूलता क्योंकि वह पूरे मन से की जाती थी उसमें अपनी ख़ुद की खुशियां होती थी।
बचपन मे स्कूल से बीच मे ही भागकर कभी नदियों में तैरना होता था तो क़भी आम के मौसम में आम के पेड़पर चढ़ना। फ़िर आम तोड़कर उसको नमक लगाकर खाया जाता था तब नाही ख़ासी होती थी नाही गला ख़राब होता था क्योंकि वह बचपना था। क़भी क़भी आम के पेड़ का मालिक देख लेता तो पीछे भागता था तब बड़ी मुसीबत होती थीं लेक़िन उस वक़्त पेड़पर कितने भी ऊपर क्यो ना हो कूद जाते थे और भागते थे। तब नाही पैर में चोट आती थी नाही क़मर में चमक उठती थी। लेक़िन जबसे उम्र से बड़े हुवे है मानों यह सब चीजें छूट सी गयीं है वैसे में आज अगर पेड़पर चढ़ने का नदी में तैरने का मौका मिल जाये तो उसको छोड़ नही पाते है।
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तुषार पुष्पदिप सूर्यवंशी

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