#बारूद_हत्या_औऱ_15_हज़ार
क्या 15 हजार में हत्या ख़रीदी जाती है?
हा 15 हजार में ही हत्या ख़रीदी जाती है।
महाराष्ट्र के वर्धा जिल्हे में पुलगांव के आशिया खंड में दूसरे नबंर पर आनेवाला केंद्रीय बारूद भंडार जहासे देश के सीमाएं पर बारूद भेजना तथा काम मे नही आनेवाले बारूद बम्ब को नष्ठ करने का काम चलाया जाता था। जिस काम को प्रशिक्षित अधिकारीओ द्वारा किया जाना चाहिए था लेकिन चांडक नामक व्यक्ति को कॉन्ट्रेक्ट दिया गया और वह सरकारी न रहकर खाजगी बनगया अब जाएज़ है खाजगी होने की वजह से उस काम को करने के लिए वहां के गाँववाले मजदूर बिना प्रशिक्षण के बिना कोई सुरक्षा के लिए अपने पेट की आग बुझाने ने के लिए 200 रुपये में तैयार हो गए औऱ जिंदा बारूद उठाकर अपना जीवन व्यथीत करने लग गए। यहाँतक तो ठीक था लेकिन प्रशिक्षण औऱ कोई सुविधा न होने की वजह से जो होना था वही हुवा 20 नवम्बर 2018 को सुबह 7 से 8 बजे के करीबन बारूद की पेटी उतारते वक्त बम्ब का स्फ़ोट हुवा और एक अधिकारी सहित पांच लोगों की मौत हो गयी। अब इस घटना को अख़बार वाले वहाँके कुछ अधिकारी औऱ नेताये अपघात कह कर टालने का तरीका ढूंढ रहे होंगे। लेकिन वहाँपर मुद्दा सिर्फ उन कामगारों का ही नही बल्कि उस भंडार के आसपास सात से ज्यादा गाँव है जिनका पुनर्वसन करने का भी मुद्दा है जो शायद ही सुलजेगा। उस घटना के बाद कुछ नेता और अधिकारि मिलकर छह मजदूरो परिवार से मिल रहे है ओर आश्वासन दे रहे है। उन मजदूरो को जिंदा बम्ब उठाने के 200 से 300 रुपए मिलते थे औऱ जब वह बम्ब ने उनकी जान लेने के बाद उनकी हत्या की क़ीमत 15 हजार रु देकर लगाई जा रही है। फिर कुछ सवाल क्या पैसे देकर मजदूरो की जान की कीमत लगाई जा सकती है ? क्या दोषियों मो उसकि सजा मिलेगी ? क्या उन गाँवों का पुनर्वसन होगा ? क्या भारत मे पेट की आग बुझाने के लिए जिंदा बारूद उठाने पड़ेंगे।
तुषार पुष्पदिप सूर्यवंशी।
लोकतंत्र की लड़ाई में युवा वर्ग कहा हैं?
एक तरफ़ देश में अंबेडकर वादी, मार्क्सवादी, पुरोगामी, गांधी वादी संघटन ओर बुद्धिजीवी वर्ग की तरफ़ से लोकतंत्र को ओर लोकतंत्र में स्थित शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अधिकारों को बचाने के लिए हर क्षेत्र से लड़ाई लड़ी जा रहीं हैं। जिसमें प्रोफ़ेसर, शिक्षक/शिक्षिका, डॉक्टर, वकील, मजदूर, लेखक, कलाकार, पत्रकार, अधिकारी कुल मिलाकर निजी ओर सरकारी क्षेत्र में काम करने वाला वर्ग आंदोलन कर रहा हैं, लोकतंत्र को बचाने की कोशिश कर रहा हैं। वैसे में सरकार ओर न्याय व्यवस्था किस के साथ खड़ी हैं, किस तरफ़ अपने कदम बड़ा रही हैं इसके कई उदाहरण हमें देखने को मिल रहे हैं। "NRC , CAA के खिलाफ आंदोलन कर चुके आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया जा रहा हैं, तो कहीं पर मजदूरों के हितों के खिलाफ मजदूर कानून में बदलाव किए जा रहे हैं, सरकार के ऑनलाइन शिक्षा के जिद की वजह से कई छात्र/छात्राएं शिक्षा में पिछड़ रहे हैं, जाती को मजबूती देने वाली ऑनार किलिंग जैसी घटनाएं सामने आ रही है, ऑनलाईन शिक्षा के खिलाफ किसी भी तरह की बात की तो वह राष्ट्रहित के विरोध में होगी ऐसा फैसला न्याय व्यवस्था की ओर से सुनाया जा रहा ह...
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