विधवा औरत
वो शब्द मेरे दिलपर दस्तक दे रहा था
जिसने मेरी माँ को विधवा कहा था।
लेकिन जैसे भारतीय संविधान की बनायीं व्यवस्था में जब एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन जाता है तब वह भारतिय संविधान की जीत साबित होती है। हा वह बात अलग है कि उसका कोई आधार नही है कि प्रधानमंत्री ने कभी चाय बेची थी या किसीने उनकी चाय पी थी। लेकिन यह भारतीय संविधान की विशेषता है कि एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है। जैसे भारतीय संविधान में चाय वाला प्रधानमंत्री बनाने की विशेषता है। वैसे ही भारतीय संविधान की खास विशेषता है। की भारतीय संविधान महिलाओं का संमान करती है। उनको हर तरह का अधिकार देती है। उनके अधिकारों का संरक्षण करती है। लेकिन क्या भारत के प्रधानमंत्री महिलाओं का संमान करते है ? उलटा भारत के प्रधानमंत्री विपक्ष पार्टी की प्रधानमंत्री को कांग्रेस की विधवा कहकर सम्भोदित करते है तो क्या इसमे महिलाओं का संमान है ? यह कांग्रेस की महिला के प्रतीक में हर उस महिला का अपमान है जो भारतीय संविधान में स्वतंत्र है। जिनका संमान भारतीय संविधान करता है। जिनके अधिकारों का संरक्षण भारतीय संविधान करता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता भारत के प्रधानमंत्री जो एक जबाबदार पदपर विराजमान होने के बावजूद भी उनोने कोंग्रेस की विधवा के प्रतीक में देश की महिलाओं का अपमान कर साबित कर दिया कि नरेंद्र मोदी देश के नही भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रधानमंत्री है।
लेकिन सबको सोचना होगा कि किसी औरत का पति गुजर जाता है तो उसको विधवा कहकर पुकारना मतलब गाली देना है ? किसी औरत के माथेपर बिंदी ना हो तो उसको विधवा समजा जाता है ? इन सवालों का जबाब अगर देना हो तो शायद में 'हा' में उसका जबाब दूंगा। क्योकि मुजे याद है जबसे मेरे पिताजी गुजरे है तबसे मेरी माँ ने अपने माथेपर बिंदी नही लगाई है। औऱ में कईबार सुन चुका हूं कि मेरी माँ विधवा है। यहाँतक की लोग जिस औरत के पति गुजर चुके होते है उसके बच्चों को "रांड के बच्चे सांड" तक कहते है।
तुषार पुष्पदिप सूर्यवंशी।
लोकतंत्र की लड़ाई में युवा वर्ग कहा हैं?
एक तरफ़ देश में अंबेडकर वादी, मार्क्सवादी, पुरोगामी, गांधी वादी संघटन ओर बुद्धिजीवी वर्ग की तरफ़ से लोकतंत्र को ओर लोकतंत्र में स्थित शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे अधिकारों को बचाने के लिए हर क्षेत्र से लड़ाई लड़ी जा रहीं हैं। जिसमें प्रोफ़ेसर, शिक्षक/शिक्षिका, डॉक्टर, वकील, मजदूर, लेखक, कलाकार, पत्रकार, अधिकारी कुल मिलाकर निजी ओर सरकारी क्षेत्र में काम करने वाला वर्ग आंदोलन कर रहा हैं, लोकतंत्र को बचाने की कोशिश कर रहा हैं। वैसे में सरकार ओर न्याय व्यवस्था किस के साथ खड़ी हैं, किस तरफ़ अपने कदम बड़ा रही हैं इसके कई उदाहरण हमें देखने को मिल रहे हैं। "NRC , CAA के खिलाफ आंदोलन कर चुके आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया जा रहा हैं, तो कहीं पर मजदूरों के हितों के खिलाफ मजदूर कानून में बदलाव किए जा रहे हैं, सरकार के ऑनलाइन शिक्षा के जिद की वजह से कई छात्र/छात्राएं शिक्षा में पिछड़ रहे हैं, जाती को मजबूती देने वाली ऑनार किलिंग जैसी घटनाएं सामने आ रही है, ऑनलाईन शिक्षा के खिलाफ किसी भी तरह की बात की तो वह राष्ट्रहित के विरोध में होगी ऐसा फैसला न्याय व्यवस्था की ओर से सुनाया जा रहा ह...
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