Posts

Showing posts from October, 2018
Image
आंदोलन की समाप्ति। दिनांक 7 अक्तूबर के शाम की ओ बात है जब में मेरी दोस्त को वर्धा स्टेशन को छोड़ के वापस विश्वविद्यालय आ रहा था। तब रास्ते मे मुजे एक अपाहिज युवा ने हात दिया और आगेतक आनेकी मदत मांगी मैने बे झिझक उसको अपनी गाड़ी पर बिठा लिया। थोड़ी देर बात उसने मुजसे बात की ओ बोला भैया कुछ काम होंगा तो बोलना! में जल्दी में था इसलिए मैंने ध्यान नही दिया लेकिन पोहोचने में टाइम था इसलिए मैंने भी उस्से वार्तालाप शुरू कर दिया। शुरवात में तो मैंने ये कहकर बात टाल दी कि में यहां का रहनेवाला नही हु। फिर भी अगर होता है तो में आपको कहदूँगा। ये कहकर मैं शांत हो गया फिर वो बोला में दसवीं कक्षा तक ही पढ़ा हु सब काम कर लेता हूं। यही रहता हूं वर्धा में फिर मेने अपना मौन खोला जैसे हमारे देश की राजनीति जब चाहे खोल देती है जब चाहे मौन कर लेती है। मैंने बड़े स्वाभिमान भरे शब्दो मे कहा पेट्रोलपंप पर देख लेना शायद मिल जाएगा। उसके पास मोबाइल तक नही था मैंने अपना मोबाईल नंबर उसे एक कार्डपर लिखकर दे दिया और कहा कि मेरे छात्रावास के रूम न. 26 में आकर मिलना में पूछता हूं अपने दोस्त से। मैने वैसे ही उसे आश्वाशन दे द
Image
उस दिन की बात है जब नथुराम घोड़से जिंदा दिखा साथियो ये उस दिन की बात है, जिस दिन आजादि से लेकर 70 साल बाद भी हर साल 2 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है और सिर्फ अहिंसा दिवस ही नही बल्कि साथ ही हिंसा दिवस भी मनाया जाता है। ओ बात अलग है कि अहिंसा दिवस तो बस नाम तक ही सीमित है बनाना तो हिंसा दिवस ही चाहते है। इस साल में 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र में था जहा मेरी समाजकार्य की पढ़ाई चल रही है। 2 अक्तूबर को सबेरे 6.30 बजे गांधी हिल पर प्राथना हुवी जो साल भर नही होती और नाही उसपर अमल किया जाता है। उसके बाद मेरे ही केंद्र महात्मा गांधी फ़्यूजी गुरुजी समाज कार्य अध्ययन केंद्र में 150 पेड़ लगाने की शपथ के साथ वृक्षारोपण किया गया। फिर 10.30 बजे गांधीजी को व्याख्यान में खिंचा गया और उनके दर्शनोंके साथ कई सारे विषयोंको शाम 6.00 बजेतक रखा गया। फिर दूसरे दिन पूरे देश मे चल रहा विवाद अंबेडकर वाद और गांधी वाद को "संविधान, समाज और गांधी" के विषय के अंतर्गत छेड़ा गया उस वाद विवाद पर अगर मेरी राय पूछो तो विचारो के आधारपर अंबेडकर ग