
रेल,खिलोना,बच्चा,मर्द-औरत औऱ पितृसत्ताक पद्धति। बचपना लौटकर नही आता है बचपना छुप जाता है उम्र के साथ। आप कहेंगे क्या यह भी कुछ लिखने का विषय हो सकता है। में कहूंगा यह भी लिखने का विषय होना चाहिए। तो बात कुछ ऐसी है। दिनांक २२ दिसंबर २०१८ को रेल से गुजर रहा था रात के ९ बजे के आसपास का समय था बहोत जादा भीड़ थी जो हमेशा रहती है। जिसकी वजह है बढ़ती लोकसंख्या औऱ रेल के डिब्बे की कमी। दूसरी वजह जो बहोत खास है जिसपर गौर करना चाहिए। भारत मे आरक्षित सीट पाकर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या बिना आरक्षित सीट से यात्रा करने वालो से बोहोत कम है। कुछ सरकारी आंकड़ा अबतक नही निकला है इसलिए जो आँखोदेखि दिखता है। इसका मतलब यह नही की जो जनरल से यात्रा करते है उनको आरक्षित सीट नही मिलती। बल्कि कारण है कि वह लोग आरक्षित सीट पा सखे वैसे उनके हालात नही है। क्योंकि ९० प्रतिशत पैसा १० प्रतिशत लोगो के पास है। औऱ १० प्रतिशत पैसा ९० प्रतिशत लोगो के पास उसके बावजूद भी अगर गरीब जनता कोशिश करने के बाद पैसे जुटाकर आरक्षित सीट पाना भी चाहे तो पा नही सकते है। क्योंकि वहाँपर भी दलाल अपना घर जमा बैठे है। क्योंकि उनक...